Ad

Yogi Government

योगी सरकार मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिड़ी प्रदान कर रही है

योगी सरकार मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिड़ी प्रदान कर रही है

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में मक्के की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए नई योजना लागू करने जा रही है। इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में 2 लाख हेक्टेयर गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ेगा और 11 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा मक्के की उपज हांसिल होगी। 

इसके अतिरिक्त योजना के अंतर्गत किसी एक लाभार्थी को ज्यादा से ज्यादा दो हेक्टेयर की सीमा तक सब्सिडी दी जाएगी। 

योगी सरकार संकर मक्का, पॉपकार्न मक्का और देसी मक्का पर 2400 रुपये अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही, बेबी मक्का पर 16000 रुपये और स्वीट मक्का पर 20000 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान इस योजना के अंतर्गत दिया जाएगा।

ये भी पढ़ें: मक्के की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण एवं विस्तृत जानकारी

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यूपी सरकार की यह योजना 4 सालों के लिए होगी। कैबिनेट की बैठक में कृषि विभाग की ओर से पिछले दिनों में ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिसके बाद इस योजना को संचालित किए जाने का शासनादेश जारी कर दिया गया है।

जानिए किन जिलों के किसान भाई होंगे लाभांवित 

यदि मुख्य सचिव कृषि डॉ. देवेश चतुर्वेदी द्वारा जारी शासनादेश के मुताबिक, इस योजना को राज्य के समस्त जनपदों में चलाया जाएगा। 

परंतु, राज्य के 13 जनपदों में- बहराइच, बुलंदशहर, हरदोई, कन्नौज, गोण्डा, कासगंज, उन्नाव, एटा, फर्रुखाबाद, बलिया और ललितपुर जो कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत मक्का फसल के लिए चयनित हैं। 

इन जिलों में इस योजना के वह घटक जैसे-संकर मक्का प्रदर्शन, संकर मक्का बीज वितरण और मेज सेलर को क्रियान्वित नहीं किया जाएगा। क्योंकि ये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में भी शामिल है।

खाघान्न में तीसरे स्थान पर मक्के की फसल

दरअसल, खाद्यान्न फसलों में गेहूं और धान के पश्चात मक्का तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। 

ये भी पढ़ें: उदयपुर शहर के (एमपीयूएटी) द्वारा विकसित की गई मक्का की किस्म 'प्रताप -6'

आज के समय में भारत के अंदर मक्के का इस्तेमाल मुख्य तौर पर खाद्य सामग्री के अतिरिक्त पशु चारा, पोल्ट्री चारा और प्रोसेस्ड फूड आदि के तोर पर भी किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त मक्का का उपयोग एथेनॉल उत्पादन में कच्चे तेल पर निर्भरता को काफी कम कर रहा है।

खरीफ सत्र में कितने मी.टन मक्के की पैदावार दर्ज हुई है 

बतादें, कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022-23 के खरीफ सत्र में 6.97 लाख हेक्टेयर में 14.56 लाख मी.टन मक्के का उत्पादन हुआ था। वहीं, रबी सत्र में 0.10 लाख हेक्टेयर में 0.28 मी.टन और जायद में 0.49 लाख हेक्टेयर में 1.42 लाख मी.टन मक्के की उपज हुई थी।

इस राज्य सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए जारी किए 450 करोड़

इस राज्य सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए जारी किए 450 करोड़

गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए यह धनराशि सहकारी चीनी मिलों पर कर्ज के तौर पर पहले से लंबित थी। इसलिए गन्ना उत्पादक किसान लंबे समय से बकाया धनराशि का भुगतान किए जाने की लगातार मांग कर रहे थे। उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादक किसानों लिए एक अच्छा समाचार है। शीघ्र ही राज्य के हजारों गन्ना उत्पादक कृषकों के खाते में बकाया राशि पहुंचने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा गन्ना बकाया का भुगतान करने का आदेश दे दिया है। विशेष बात यह है, कि इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 450 करोड़ रुपये की राशि जारी भी कर दी गई है। साथ ही, इस खबर से किसानों के मध्य प्रशन्नता की लहर है। किसानों का यह कहना है, कि फिलहाल वह बकाया धनराशि के पैसे से वक्त पर खरीफ फसलों की खेती बेहतर ढ़ंग से कर पाऐंगे।

किसानों ने ली चैन की साँस

मीडिया खबरों के अनुसार, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान हेतु यह राशि सहकारी चीनी मिलों पर कर्ज के तौर पर पहले से लंबित थी। ऐसी स्थिति में गन्ना उत्पादक किसान लंबे वक्त से बकाया धनराशि का भुगतान किए जाने की मांग कर रहे थे। अब ऐसी स्थिति में धान की बुवाई आरंभ होने से पूर्व सरकार के इस निर्णय से किसान भाइयों ने राहत भरी सांस ली है।

ये भी पढ़ें:
यह राज्य सरकार बकाये गन्ना भुगतान के निराकरण के बाद अब गन्ने की पैदावार में इजाफा करने की कोशिश में जुटी

गन्ने की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि संपूर्ण भारत में सर्वाधिक गन्ने का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है। फसल सीजन 2022-23 में 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई। साथ ही, यूपी के उपरांत गन्ना उत्पादन के संबंध में महाराष्ट्र द्वितीय स्थान पर है। यहां पर गन्ने का क्षेत्रफल 14.9 लाख हेक्टेयर है। ऐसी स्थिति में हम कहा जा सकता है, कि उत्तर प्रदेश अकेले 46 प्रतिशत क्षेत्रफल में गन्ने की खेती करता है। उधर महाराष्ट्र की देश के कुल गन्ने के क्षेत्रफल में 24 फीसद भागीदारी है। हालांकि, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और हरियाणा में भी किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती करते हैं।

गन्ना उत्पादक किसानों को कितने करोड़ का भुगतान किया जा चुका है

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कहना है, कि प्रदेश में सरकार बनने के बाद से अभी तक वह गन्ना उत्पादक किसानों को 2 लाख 11 हजार 350 करोड़ का भुगतान कर चुकी है। इससे 46 लाख गन्ना किसानों के खाते में भुगतान राशि भेजी जा चुकी है। सरकार का यह भी दावा है, कि वह देश में गन्ना किसानों का भुगतान करने में सबसे अग्रणीय है। बतादें, कि यूपी में पेराई सत्र 2022-23 के समय कृषकों से 350 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गन्ना खरीदा गया है। उधर सामान्य किस्म के गन्ने का भाव 340 रुपये और क्वालिटी प्रभावित गन्ने का भाव 335 रुपये प्रति क्विंटल रहा है।
आलू का समुचित मूल्य ना मिलने पर लागत निकाल पाना भी हुआ मुश्किल

आलू का समुचित मूल्य ना मिलने पर लागत निकाल पाना भी हुआ मुश्किल

आलू की कीमत बेहद कम होने से सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने राज्य सरकार पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए से कहा है, कि "सरकार का 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू खरीदने का फरमान नाकाफी है"। बेहतरीन पैदावार होने की वजह से इस बार उत्तर प्रदेश के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में आलू के भाव में काफी गिरावट देखने को मिली है। इससे किसानों को लाभ तो दूर की बात है, फसल पर किया गया खर्च निकालना भी असंभव सा हो गया है। साथ ही, बहुत सारे किसान भाई कीमतों में आई गिरावट की वजह से आलू कोल्ड स्टोर में रखना सही समझ रहे हैं। भाव में बढ़ोतरी होने पर वह आलू बेचेंगे। ऐसी स्थिति में कोल्ड स्टोर के अंदर भी जगह का अभाव हो गया है। फिलहाल, किसान आलू की कीमत को निर्धारित करने के लिए सरकार से मांग की जा रही है। साथ ही, आलू का निर्यात शुरू करने के लिए भी स्वीकृति देने की गुहार की जा रही है।

आलू की लागत तक नहीं निकाल पा रहे किसान

मीडिया खबरों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल और बिहार में आलू की मांग में गिरावट होने की वजह से भी उत्तर प्रदेश में आलू के भाव में कमी देखने को मिली है। साथ ही, निर्यात ना होने की वजह से राज्य के
कोल्ड स्टोर के अंदर आलू को रखने के लिए समुचित जगह का भी अभाव हो गया है। इन परिस्थितियों में किसान भाई सरकार से आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने बताया है, कि आलू का भाव कम होने की वजह से फसल पर किया गया खर्च निकालना भी कठिन सा हो रहा है। मुख्य रूप से कर्ज लेकर कृषि करने वाले किसान काफी घाटा सहकर आलू बेच रहे हैं। क्योंकि उनके पास कोल्ड स्टोर का किराया तक वहन करने की आर्थिक स्थिति नहीं है।

बाजार में फिलहाल आलू का क्या भाव है

हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आलू का भाव निर्धारित कर दिया गया है। सरकार द्वारा ऐलान किया गया है, कि फिलहाल राज्य में 650 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से आलू की खरीद की जाएगी। परंतु, इसके उपरांत भी किसानों के चेहरे मायूस दिखाई दे रहे हैं। किसानों ने बताया है, कि प्रति क्विंटल आलू पर किया गया खर्च 800 रुपये के करीब है। अब इस परिस्थिति में हम आलू का विक्रय 650 रुपये क्विंटल किस तरह कर सकते हैं। बतादें, कि उत्तर प्रदेश की मंडियों में फिलहाल आलू का भाव 400 रुपये से 500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से चल रहा है, जो किसान भाइयों के सिर दर्द की वजह बना हुआ है।

ये भी पढ़ें:
इन राज्यों के आलू उत्पादन से बिहार के आलू किसानों की आई सामत

सरकार का 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू खरीदने का फरमान नाकाफी है : शिवपाल यादव

साथ ही, 650 रुपये प्रति क्विंटल आलू का भाव निर्धारित करने पर सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कहा है, कि "सरकार का 650 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य से आलू खरीदने का फरमान नाकाफी है। उन्होंने कहा कि 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बीज खरीदने वाले किसानों के लिए यह समर्थन मूल्य मजाक है। ऐसे में सरकार को न्यूनतम 1500 रुपए प्रति पैकेट की दर से आलू की खरीद करनी चाहिए।"

आलू का समुचित भाव ना मिलने पर निराश किसान ने सड़क पर फेंके आलू

बतादें कि इस वर्ष बिहार और पश्चिम बंगाल में भी आलू का बेहतरीन उत्पादन हुआ है। ऐसी स्थिति में ये दोनों राज्य उत्तर प्रदेश से आलू का आयात नहीं कर रहे हैं। आपको यह भी बतादें कि स्वयं बिहार के किसान भी आलू की कीमतों में आई गिरावट के चलते आलू सड़कों पर ही फेंक रहे हैं। शुक्रवार के दिन बिहार के बेगूसराय में एक हताश किसान ने आलू की समुचित कीमत न मिलने की वजह से 25 क्विंटल आलू को सड़क पर ही फेंक दिया था।
योगी सरकार की इस योजना से गौ-पालन करने वालों को मिलेगा अनुदान

योगी सरकार की इस योजना से गौ-पालन करने वालों को मिलेगा अनुदान

नंदिनी कृषक समृद्ध योजना और गौ संवर्धन योजनाओं को संचालित कर रही है। राज्य सरकार इन समस्त योजनाओं के आधार पर किसानों को अथवा डेयरी खोलने वालों को सब्सिड़ी की धनराशि के साथ में कई अन्य तरह की सहायता भी प्रदान कर रही है। 

गौ पालन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालित कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य गौ वंश को प्रोत्साहन देने साथ-साथ राज्य में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी करना है। 

प्रदेश सरकार राज्य में गौ वंशों के पालन के लिए राज्य में गोपालक योजना, नंद बाबा योजना, नंदिनी कृषक समृद्ध योजना एवं गौ संवर्धन योजनाओं को संचालित कर रही है। 

प्रदेश सरकार इन समस्त योजनाओं के आधार पर किसानों को अथवा डेयरी खोलने वालों को सब्सिड़ी की बड़ी धनराशि के साथ में विभिन्न अन्य प्रकार की मदद भी प्रदान कर रही है। 

राज्य सरकार फिलहाल नंदिनी कृषक समृद्धि योजना को संचालित कर रही है। योगी सरकार की तरफ से इस योजना के अंतर्गत 62 लाख रुपये के प्रोजेक्ट पर 50 फीसद अनुदान तक तीन हिस्सों में प्रदान करेगी।

प्रमुख नस्लों की गायों पर मिलेगा अनुदान

उत्तर प्रदेश सरकार इस अनुदान धनराशि को तीन हिस्सों में प्रदान करेगी। परंतु, इसके लिए राज्य सरकार की कुछ प्रमुख शर्तें होंगी। इन शर्तों को पूर्ण करने के पश्चात ही कोई भी आदमी इस योजना का फायदा उठा सकता है। 

दरअसल, प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से अधिक दूध देने वाली गायों को पालने पर ही धनराशि को आवंटित करेगी। इन प्रजातियों की गायों में स्वदेशी गाय थारपारकर, गिल नस्ल और साहीवाल की गायों को शम्मिलित किया गया है। 

इस योजना का फायदा उठाने के लिए पशुपालकों को तकरीबन 10 इन्हीं नस्लों के बच्चों को दिखाना पड़ेगा, जिसके पश्चात वह अनुदान धनराशि का तकरीबन 25 फीसद तक ले सकेंगे। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको 25 अक्टूबर तक आवेदन करना पड़ेगा।

ये भी पढ़ें: ठण्ड में दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे करें

योजना का लाभ लेने के लिए किस तरह अप्लाई करें

आपको इसके लिए इसकी अधिकारिक वेबसाइट www.animalhusb.upsdc.gov.in पर क्लिक करके फॉर्म को भरना होगा। इसके साथ-साथ उनके पास खुद की अथवा लीज पर पशुपालन संबंधी स्थान को दिखाना आवश्यक है। 

इस योजना का फायदा उत्तर प्रदेश राज्य के पंजीकृत किसान ही उठा पाऐंगे। किसानों के पास गौ-पालन से जुड़ा तकरीबन तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए। इसके साथ-साथ कामधेनु का फायद उठा चुके लाभार्थी इसका फायदा नहीं उठा पाऐंगे।

ये भी पढ़ें: Cow-based Farming: भारत में गौ आधारित खेती और उससे लाभ के ये हैं साक्षात प्रमाण

योजना का लाभ लेने हेतु किन कागजों की आवश्यकता पड़ेगी

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आपको इस योजना का फायदा उठाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अथवा केंद्र द्वारा प्रदत्त समस्त अधिकारिक आई-डी कार्ड को अपने पास सुरक्षित रख लें, जिससे आपको आवेदन करते समय किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो। 

इसके लिए आपके पास आधार कार्ड, मूल निवास प्रमाण, जमीन का विवरण, बैंक अकाउंट विवरण, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो का होना बेहद आवश्यक है।

योगी सरकार द्वारा जारी की गई नंदिनी कृषक बीमा योजना से देशी प्रजातियों की गायों को प्रोत्साहन मिलेगा

योगी सरकार द्वारा जारी की गई नंदिनी कृषक बीमा योजना से देशी प्रजातियों की गायों को प्रोत्साहन मिलेगा

उत्तर प्रदेश में शीघ्र ही नंदिनी कृषक बीमा योजना जारी होने वाली है। इससे देशी प्रजातियों की गायों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, आशा की जा रही है कि योजना राज्य में श्वेत क्रांति लाने का कार्य करेगी। 

उत्तर प्रदेश सरकार एक के पश्चात एक पशुपालक किसानों के लिए लगातार योजनाएं जारी करती आ रही है। इसी कड़ी में एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पशुपालकों को तोहफा दिया है। 

राज्य में शीघ्र ही नंदिनी कृषक समृद्धि योजना की शुरुआत होने जा रही है। इसकी जानकारी स्वयं पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने प्रदान की है।

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का आरंभ नंद बाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है। इसको लेकर मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है, कि नंद बाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत प्रदेश में श्वेत क्रांति का आगाज होगा। 

इसके लिए 'नंदिनी कृषक समृद्धि योजना' चालू करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को 25 देशी उन्नतशील प्रजतियों की गायें मुहैय्या कराई जाऐंगी, जिससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सकेगी।

इसके साथ-साथ श्वेत क्रांति का सपना साकार हो सकेगा। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का उद्देश्य देशी प्रजाति को प्रोत्साहन देना एवं कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के माध्यम किसानों और पशुपालकों को आर्थिक तौर पर समृद्ध बनाना है।

उम्मीद व्यक्त की जा रही है, कि यह योजना दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है।

नंद बाबा दुग्ध योजना का क्या उद्देश्य है

नंद बाबा दुग्ध मिशन का आरंभ इसी वर्ष 2023 में किया गया है। यह उत्तर प्रदेश के पशुपालकों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए किया गया है। 

योगी सरकार इस योजना पर 1000 रुपए का बजट आवंटित करेगी। इस मिशन के अंतर्गत वर्तमान में नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का आरंभ होने वाला है।

ये भी पढ़ें: Nand Baba Mission: योगी सरकार देसी गाय पालने के लिए 40 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगी 

नंद बाबा दुग्ध योजना के अंतर्गत पशुपालकों को दूध का समुचित भाव प्रदान किया जाएगा, जिससे किसानो की आमदनी में इजाफा होगा। 

इस योजना के अंतर्गत पशुपालक किसानों के अपने इलाके में दूध को बेचने की समुचित व्यवस्था की जाऐगी। बतादें, कि दूध विक्रय करने का प्रबंध दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियों के जरिए ही किया जाएगा। यानी की फिलहाल पशुपालकों को दूध बेचने के लिए अपने क्षेत्र से कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार के ऐलान से किसानों में खुशी की लहर

उत्तर प्रदेश सरकार के ऐलान से किसानों में खुशी की लहर

उत्तर प्रदेश कृषकों के लिए सरकार ने घर बैठे मिलेट्स की फसल को विक्रय करने की सुविधा को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य के किसान नीचे दी गई जानकारी के अनुरूप रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते हैं। कृषक भाइयों को उनकी फसल का उचित भाव दिलाने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू किया, जिसमें करोड़ों किसानों को फायदा भी मिला है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के किसान भाई जो मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं, उन्हें भी उनकी फसल का समुचित फायदा पहुंचाने के लिए MSP की खरीद चालू कर दी है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य मतलब कि MSP की खरीद पर ज्वार, बाजरा, मक्का से किसानों को लाभ पहुंचेगा। कहा जा रहा है, कि इस काम के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन कार्य भी आरंभ कर दिए हैं। जिससे किसानों को वक्त पर इसका पूर्ण फायदा मिल सके।

जानिए मिलेट्स की यह फसलें कितने में बिकेंगी

खबरों के अनुसार, किसान अपनी फसल को सही भाव पर बेच सकते हैं। मक्का (Maize ) - 2090 /- प्रति क्विंटल, बाजरा (Millet) - 2500 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (हाइब्रिड) - 3180 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (मालदाण्डी) - 3225 /- प्रति क्विंटल

ये भी पढ़ें:
IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये

इस प्रकार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करें

बतादें कि यदि आप उतर प्रदेश के किसान हैं और आपने धान की बिक्री करने के लिए पंजीकरण नहीं किया है, तो आप खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट fcs.up.gov.in अथवा विभाग के मोबाइल एप UP KISHAN MITRA से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूर्ण करें। बतादें, कि फसलों की रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक कर सकते हैं। ख्याल रहे कि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने का वक्त प्रातः 9 बजे से लगाकर शाम 5 बजे तक हैं। वहीं, इस संदर्भ में ज्यादा जानकारी के लिए आप चाहें तो सरकार के द्वारा जारी किए गए टोल फ्री नंबर- 1800 1800 150 पर कॉल कर संपर्क साध सकते हैं।

पंजीकरण के लिए आवश्यक कागजात

बतादें, कि यदि रजिस्ट्रेशन के दौरान आपका कोई भी कागजात सही नहीं पाया जाता है, तो आप इस सुविधा का फायदा नहीं उठा पाएंगे। आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी निरस्त कर दिया जाएगा। इस वजह से जब आप रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, उस वक्त अपने सही व आवश्यक कागजात को ही दें। जैसे कि- किसान समग्र आई डी नंबर, ऋण पुस्तिका, आधार नंबर, बैंक खाता नम्बर, बैंक का आईएफएससी कोड और मोबाइल नंबर इत्यादि।

ये भी पढ़ें:
हरियाणा में फसल बेचने के लिए करवाएं रजिस्ट्रेशन, फिर से खुला ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल

किसान मिलेट्स की फसल इन जगहों पर बेच सकते हैं

उत्तर प्रदेश के कृषक भाई अपने घर बैठे ऑनलाइन ढ़ंग से विभिन्न जनपदों में अपनी फसल की बिक्री कर सकते हैं। चंदौली, बलिया, मिर्जापुर, भदोही, जालौन, चित्रकूट, बाँदा, प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, कानपुर देहात, कानपुर शहर, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाज़ीपुर, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, हरदोई, सुलतानपुर, अमेठी, मिर्जापुर, जालौन, अयोध्या, वाराणसी, प्रतापगढ़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, अलीगढ, कासगंज, एटा, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोज़ाबाद, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फरुखाबाद, वाराणसी, जौनपुर और गाजीपुर आदि बहुत सारे जिले हैं।
योगी सरकार ने गन्ना का भाव 20 रुपए बढाया, किसानों ने इस पर अपनी यह प्रतिक्रिया दी है

योगी सरकार ने गन्ना का भाव 20 रुपए बढाया, किसानों ने इस पर अपनी यह प्रतिक्रिया दी है

लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा राज्य में गन्ने का भाव 20 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाकर किसानों को तोहफा दिया है। हालांकि, बीकेयू नेता राकेश टिकैत इसे किसान के साथ मजाक बता रहे है। राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत में किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि "उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आज घोषित किए गए गन्ने का मूल्य काफी नहीं है। मात्र 20 रुपये बढ़ने से किसान को निराशा हुई है. प्रदेश का किसान हरियाणा की तरह 400 रुपये से अधिक गन्ना मूल्य घोषित होने की आशा कर रहा था, क्योंकि खेती पर प्रतिदिन खर्च बढ़ता जा रहा है। इसके अनुपात में किसान को फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है।"

26 जनवरी को होगी ट्रैक्टर परेड

उन्होंने कहा कि हम 26 जनवरी को देश भर में ब्लॉक व तहसील स्तर पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। क्योंकि हमने दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में भी ट्रैक्टर परेड निकाली थी। देश का किसान 16 फरवरी को भारत बंद के साथ-साथ खेती किसानी के सभी कार्य भी एक दिन नहीं करेगा। टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन लंबित चल रही है। अपनी सभी मांगों को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में 14 मार्च को एक दिवसीय किसान महापंचायत का आयोजन करेगा, जिसमें देश भर के किसान शामिल होंगे।

ये भी पढ़ें: गन्ने का सर्वाधिक मूल्य दे रही हरियाणा सरकार

किसानों का भविष्य सरकार नहीं, आंदोलन तय करेगा- बीकेयू 

इसके पहले भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का भविष्य सरकार नहीं, आंदोलन तय करेगा। केंद्र में किसी की भी सरकार बने, किसानों की आवाज सुननी होगी। उन्होंने कहा कि हमारा संगठन अराजनैतिक है। लोकसभा चुनाव में हमारी कोई सक्रिय भूमिका नहीं है। पूंजीवाद देश पर हावी हो रहा है। किसानों के बच्चों के पास रोजगार नहीं है। जमीन बेचकर गुजारा कर रहे हैं। किसानों को सबसे निचले स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं। मजबूरी में लाखों किसान भूमिहीन होकर मजदूर बन रहे हैं।

योगी सरकार ने कितनी बार बढ़ाया गन्ने का भाव 

योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश के गन्‍ना किसानों को तोहफा दिया है। गन्‍ने का समर्थन मूल्‍य 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है। गुरुवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया है। इस दौरान लगभग एक दर्जन प्रस्‍तावों पर भी चर्चा हुई। यूपी सरकार के इस फैसले पर पश्चिमी यूपी के गन्‍ना किसानों ने खुशी जाहिर की है। आपको बतादें, कि यह तीसरा मौका है जब 2017 के बाद योगी सरकार ने तीसरी बार गन्‍ने का समर्थन मूल्‍य बढ़ाया है। 2017 में पहली बार जब बीजेपी की सरकार बनी थी तब गन्‍ने के समर्थन मूल्‍य में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी। इसके उपरांत 2022 विधानसभा चुनाव से पहले 2021 में गन्‍ने के मूल्‍य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। इस तरह देखा जाए तो पिछले सात सालों में योगी सरकार ने गन्‍ने का समर्थन मूल्‍य 55 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है।

यूपी के बजट में किसानों पर दिया गया है ख़ास ध्यान; जानें क्या है नई घोषणाएं

यूपी के बजट में किसानों पर दिया गया है ख़ास ध्यान; जानें क्या है नई घोषणाएं

यूपी सरकार द्वारा साल 2023-24  के लिए बजट पेश किया जा चुका है. आंकड़ों से पता चला है कि इस बार सरकार ने बजट में 7 लाख करोड़ रुपए का बताया है जो अब तक का सबसे बड़ा बजट है.यह बजट सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा पेश किया गया जिन्होंने सातवीं बार लगातार यह बजट पेश किया है. यूपी सरकार द्वारा लाए गए इस बजट में सबसे पहले और कई महत्वपूर्ण बातें किसानों पर की गई हैं. बजट पेश करते समय सुरेश खन्ना ने कुछ आंकड़े सामने रखे जिनके अनुसार कहा गया है कि यूपी में लगभग 188.40 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है और  इसी के चलते प्रदेश दूध, गन्ना, चीनी प्रोडक्शन और इथेनॉल की आपूर्ति में देश में पहले नंबर पर है.साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी कि डीवीडी के जरिए किसानों को डायरेक्ट खाते में पैसे भेजने वाला उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसमें किसानों के खाते में सबसे ज्यादा पैसे जमा किए हैं.

इस बजट में किसानों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई साथ महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई जो इस प्रकार से हैं;

  1. सरकार द्वारा ‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल’’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसके तहत किसानों को खेती की नई तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा.साल 2023-24 मैं यूपी सरकार ऐसी 170000 किसान पाठशाला में आयोजित करेंगी जिनमें उन्हें यह जानकारी दी जाएगी.
  2. यूपी सरकार ने नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के लिए 631 करोड़ 93 लाख रूपए  देने की बात कही है.
  3. यूपी सरकार नेशनल मिशन ऑन एग्रीकल्चर फार्मिंग योजना को काफी महत्व दे रही है और इसके तहत राज्य में 49 जिलों में प्राकृतिक खेती का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है जो गौ आधारित है. इस बजट में सरकार ने इस योजना को 113 करोड़ 52 लाख रूपए  प्रस्तावित किए हैं.
  4. सरकार ने इस बजट में निजी नलकूपों को सस्ते दरों पर बिजली आपूर्ति करवाने की बात भी कही है और इस योजना को पूरा करने के लिए  1950 करोड रुपए बजट में रखे गए हैं.
  5. यूपी सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए 984 करोड़ 54 लाख रूपए का बजट  रखा गया है.
  6. आत्मनिर्भर कृषक समन्वित योजना के लिए भी सरकार ने अच्छा खासा बजट इस बार निकाला है जो 100 करोड रुपए है.
  7. सरकारों को उनकी फ्रॉक का इंश्योरेंस देना भी योगी सरकार का हमेशा से महत्व रहा है और इसीलिए इस बजट में नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस योजना के लिए 753 करोड़ 70 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है.
  8.  इन सबके अलावा सिंचाई और कृषि शिक्षा के लिए भी सरकार ने अलग से कई तरह की योजनाएं बनाने का फैसला किया है जिनके तहत  बजट का आवंटन किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: सरकार ने जारी किया बजट, आइए जानते हैं इस बजट में क्या है खास बजट पेश करते वक्त यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कृषि और किसानों से संबंधित और भी कई महत्वपूर्ण बातें कहीं.  उन्होंने बताया कि  2017 से 2023 तक 46 लाख 22 हजार गन्ना किसानों को 1 लाख 96 हजार करोड़ रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया गया. इस दौरान ना सिर्फ गन्ने की प्रोडक्शन में बढ़ावा हुआ है बल्कि किसानों की आय भी प्रति हेक्टेयर की दर से काफी अच्छी तरह से बढ़ी है. उनके द्वारा बताए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अंत फसल की खेती से किसानों को लगभग 25% की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. विपणन वर्ष के दौरान 87 हजार 991 किसानों से 3.36 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। PFMS पोर्टल के जरिए से 675 करोड़ का भुगतान किया गया है.

जैसा कि बताया गया है कि यूपी एक ऐसा राज्य बन गया है जिसने DBT के जरिए किसानों के खाते में सबसे ज्यादा पैसे  डाले हैं.

आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2022- 23 में पीएम सम्मान निधि से 51 हजार 639.68 करोड़ से ज्यादा अमाउंट DBT के जरिए किसानों के खाते में ट्रांसफर की गई. अभी के बजट में किसान पेंशन योजना के लिए 7 हजार 248 करोड़ रूपए का बजट प्रस्तावित है. अर्थशास्त्र एक्सपर्ट डॉक्टर मुलायम सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि  दूध,  गन्ना और चीनी के उत्पादन में यूपी हमेशा से ही नंबर वन रहा है और इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन उन्होंने सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंचाए जाने वाली राशि को बहुत ही सराहनीय कदम बताया है. इसके अलावा उन्होंने इस बजट पर एक और टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने नई घोषणाएं करने की बजाय अपनी पिछली उपलब्धियों को ज्यादा बनवाया है. इसके अलावा उन्होंने छुट्टा गोवंश के रखरखाव के लिए सरकार द्वारा 750 करोड़ रुपए की बजट घोषणा करने को भी किसानों के लिए एक अच्छा कदम बताया है.
इस राज्य सरकार ने देश के सरोवरों को सुंदर और संरक्षित करने की कवायद शुरू करदी है

इस राज्य सरकार ने देश के सरोवरों को सुंदर और संरक्षित करने की कवायद शुरू करदी है

नदी, नहरें, तालाब, सरोवर एवं झरने देश की सुंदरता को काफी उत्कृष्ट बनाने में अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से विश्व पृथ्वी दिवस को लेकर सरोवरों को संवारने और उनका सौंदर्यीकरण करने का कार्य किया जा रहा है। अमृत सरोवर महोत्सव स्कीम के अंतर्गत सरोवरों को सेल्फी प्वॉइंट बनाने की कवायद की जा रही है। जानकारी के लिए बतादें कि प्रति वर्ष 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस धरती को किस तरह से सुंदर बनाया जाए एवं किस प्रकार प्राकृतिक वस्तुओं दिवस का संरक्षण किया जाए। इसके लिए विश्व के प्रत्येक देश की तरफ से इस दिशा में कार्य किया जाता है। भारत में भी विभिन्न राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से तैयारियां कर रही हैं। विश्व पृथ्वी दिवस को लेकर भारत सरकार काफी सजग और सतर्क है। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इसको लेकर तैयारियां भी चालू कर दी हैं। तालाब मतलब सरोवर भू संरक्षण एवं जमीन की उर्वरकता व नमी को कायम रखने का बड़ा जरिया माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस पृथ्वी दिवस पर सरोवरों को संवारने व सौंदर्यीकरण के लिए कवायद शुरू करदी है।

अमृत सरोवर महोत्सव स्कीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2022 को
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अमृत सरोवर महोत्सव स्कीम को जारी किया था। इस योजना को संपूर्ण भारत के लिए जारी किया गया था। योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में 75 से ज्यादा तालाब खुदवाने निर्धारित किए गए थे। इन तालाबों की सहायता से भूजल संरक्षण को सहायता प्राप्त होती है। आजकल भूमिगत जल स्तर में गिरावट प्रत्येक राज्य सरकारों एवं निवासियों के लिए एक चुनौती बन चुका है। इसको नियंत्रित करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से कार्य कर रहीं हैं। कुछ राज्य सरकारें कम जल खपत वाली फसलों के उत्पादन पर अनुदान राशि भी किसानों को मुहैय्या करा रही हैं। तो कुछ सरकारें वाटर टैंक बनाने के लिए अनुदान प्रदान कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश में सरोवर बनेंगे सेल्फी प्वाइंट

अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत तालाबों को संवारने और सुंदर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कवायद की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार विश्व पृथ्वी दिवस पर राज्य में स्थापित समस्त सरोवरों को अच्छी तरह सजाने का कार्य कर रही है। इसके उपरांत इनको सेल्फी प्वाइंट के लिहाज से भी तैयार किया जाएगा। प्रदेश सरकार का कहना है, कि सरोवरों को टूरिस्ट प्लेस के तौर पर तैयार किया जाएगा। इससे यहां साफ- सफाई और बेहतर तरीके से हो सकेगी। साथ ही, विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह भी पढ़ें: एग्री लोन लें फसल बुवाई पर, चुकाएं किसान कटाई पर : प्रोत्साहन राशि दे रही सरकार उस पर

उत्तर प्रदेश में 10 हजार सरोवरों का होगा सौंदर्यीकरण

अमृत सरोवर योजना के चलते उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 10 हजार सरोवर निर्मित किए गए हैं। राज्य सरकार द्वारा योजना में बढ़-चढ़कर हिस्स्सेदारी की गई है। अब सरोवरों को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार ने कदम उठाने चालू कर दिए हैं। सरोवरों के सुधरने से स्वच्छता अभियान को भी प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, टूरिस्ट प्लेस निर्मित होने की वजह से स्थानीय लोगों की आमदनी में भी काफी इजाफा देखने को मिलेगा। भारत के तालाब और नदियां देश की सुंदरता को बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
योगी सरकार ने गेहूं की एमएसपी बढ़ाकर 1 मार्च से 15 जून तक खरीद शुरू की

योगी सरकार ने गेहूं की एमएसपी बढ़ाकर 1 मार्च से 15 जून तक खरीद शुरू की

रबी सीजन की फसलों की कटाई का समय आ गया है। देश भर की मंडियों में गेंहू की आवक शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश में 1 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद चालू होकर 15 जून तक चलेगी। 

योगी सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। योगी सरकार ने निर्देश दिया है, कि कृषकों को किसी तरह की दिक्कत-परेशानी नहीं होनी चाहिए।

योगी सरकार के प्रवक्ता का कहना है, कि गेहूं की बिक्री के लिए कृषकों को खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल, विभाग के मोबाइल ऐप यूपी किसान मित्र पर पंजीकरण-नवीनीकरण कराना आवश्यक है। 

किसान भाइयों से यह अनुरोध किया गया है, कि गेहूं को ओसाकर मिट्टी, कंकड़, धूल इत्यादि को साफ करके अच्छे तरीके से सुखाकर ही क्रय केंद्र पर बिक्री के लिए लेकर जाऐं।

बटाईदार भी इस बार पंजीकरण कराकर फसल बेच सकते हैं 

इस साल बटाईदार कृषकों द्वारा भी पंजीकरण कराते हुए गेहूं की बिक्री की जा सकेगी। गेहूं खरीद के लिए किसानों का खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल पर पहली जनवरी 2024 से ऑनलाइन पंजीयन शुरू है। 

अब तक 1,09,709 किसानों ने पंजीकरण करा लिया है। रविवार और बाकी अवकाशों को छोड़कर 15 जून तक क्रय केंद्रों पर रोजाना गेहूं खरीद सुबह 9 से शाम 6 बजे तक चलेगी।

सरकार ने निर्देश दिया है, कि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। इसकी तैयारी भी कर ली गई है। किसी भी विषम परिस्थितियों के लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर 18001800150 जारी किया है। 

किसान भाई किसी भी समस्या के समाधान के लिए किसान जिला खाद्य विपणन अधिकारी या तहसील के क्षेत्रीय विपणन अधिकारी या ब्लॉक के विपणन अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। 

ये भी पढ़ें: गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

खाद्य विभाग और अन्य क्रय एजेंसियों के कुल 6,500 क्रय केंद्र स्थापित करने की योजना है। विभाग ने गेहूं के मूल्य भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से सीधे किसानों के आधार लिंक खाते में 48 घंटे के अंदर करने की व्यवस्था बनाई है।

मुख्यमंत्री योगी ने एक्स पर किसानों को बधाई दी  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा- "प्रिय अन्नदाता किसान बंधुओ ! उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024-25 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2,275 प्रति कुंतल निर्धारित किया है। 

गेहूं का मूल्य भुगतान PFMS के माध्यम से 48 घंटे के अंदर सीधे आप लोगों के आधार लिंक खाते में करने की व्यवस्था की गई है। मुझे प्रसन्नता है, कि बटाईदार किसान भी इस वर्ष पंजीकरण कराकर अपने गेहूं की बिक्री कर सकेंगे। 

1 मार्च यानी कल से 15 जून, 2024 तक गेहूं खरीद के दौरान आप लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, यह हमारी प्राथमिक वरीयता है। आप सभी की समृद्धि और खुशहाली डबल इंजन सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। आप सभी को बधाई !"